सामाजिक चेतना फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से लखनऊ के कैसरबाग स्थित गांधी भवन में ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन’ का आयोजन, नेशनल सोशल जस्टिस डे (National Social Justice day) के रूप में मनाई जाए पेरियार जयंती: पी विल्सन (P wilson)
Lucknow: ‘‘ईश्वर नहीं है, ईश्वर बिल्कुल नहीं है, जिसने ईश्वर को रचा वह बेवकूफ है, जो ईश्वर का प्रचार करता है वह दुष्ट है, जो ईश्वर की पूजा करता है वह बर्बर है.’’ यह कथन है ईवी रामासामी पेरियार (EV Ramasamy Periyar) का. हाल ही में पेरियार जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित गांधी भवन में बहुजन विचारकों और अनुयायियों से खचाखच भरे हॉल में दिल्ली यूनिवर्सिटी के डॉ. लक्ष्मण यादव ने लोगों को पेरियार के विचारों से अवगत कराया.
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण यादव (Dr Laxman Yadav) ने सामाजिक चेतना फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से आयोजित ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन’ में उमड़ी भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा कि सामाजिक क्रांति के अगुआ, कर्मकांड पाखंडवाद के तार्किक आलोचक और सामाजिक व आर्थिक न्याय की सबसे मजबूत आवाज पेरियार को लखनऊ में याद किया जाना बहुत गर्व की बात है.

पेरियार के बारे में एक किस्सा सुनाते हुए उन्होने कहा ‘ बहुत कम उम्र थी, अच्छे घर के थे, लेकिन उनके घर पर जब कुछ ब्राम्हण कर्मकांडी लोग आए, उन्होंने तर्क करना शुरू कर दिया. उन्होंने जब तर्क करके धर्म को खारिज किया तो ब्राम्हणों ने उनके पिता से कहा कि ये बेटा तुम्हारा बहुत बिगड़ रहा है. तो उनके पिता ने स्कूल में एडमिशन करा दिया. जब स्कूल में एडमिशन हो गया तो पता चला कि अगली बार लड़ाई इस बात की होने लगी कि अब इस घर में किसी देवी देवता की तस्वीर नहीं रहेगी.
इसके बाद उनका स्कूल छुड़वा दिया गया. फिर वह उत्तर भारत आए और बनारस में पानी पीने के दौरान उनसे पूछा गया कि तुम कौन हो, तो उन्होंने कहा कि हिंदू हूं, तो उनसे जनेऊ दिखाने को कहा. जब उनसे खाना खाने के दौरान जाति पूछी गई तो उन्होंने उसी दौरान इस जाति के पाखंड के खिलाफ लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया और दक्षिण भारत जाकर फिर पाखंड के खिलाफ लड़ाई शुरू की.
पेरियार (Periyar) के बारे में बताते हुए डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा कि उन्होंने ने ईश्वर के बारे में लिखा है कि ‘’क्या तुम कायर जो हमेशा छिपे रहते हो? क्या तुम खुशामतपसंद हो, जो लोगों से दिन-रात पूजा अर्चना करवाते हो? क्या तुम हमेशा भूखे रहते हो जो लोगों से हमेशा घी दूध लेते रहते हो? क्या तुम मांसाहारी हो जो निर्बल पशुओं की बलि कराते हो? क्या तुम सोने के व्यापारी हो जो मंदिर में लाखों टन सोना दबाए बैठे हो? क्या तुम व्याभिचारी हो कि मंदिर में देवदासियों को रखते हो? क्या तुम अंधे हो कि तुम्हे इस मुल्क के कमजोर गरीब लोग नहीं दिखते? क्या तुम लाचार हो कि जिन पर हिंसा हो रही है उनकी मदद नहीं करते?’’ इस बुलंदी और इस तेवर का नाम है पेरियार और उत्तर भारत के लोगों ने उन्हें आमंत्रित कर बड़ा काम किया है.
लक्ष्मण यादव ने पेरियार रामासामी (Periyar) पर प्रमोद रंजन द्वारा संपादित ‘’धर्म और विश्व दृष्टि’’ एवं ‘जाति व्यवस्था और पितृसत्ता’ पढ़ने का आह्रवान किया.
यूपी में भी ओबीसी को मिले 52 फीसद रिजर्वेशन
डॉ. लक्ष्मण यादव ने पॉलिटिकल पार्टियों का आह्रवान करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में राजनेता 2024 के चुनाव में घोषणा करें कि जब उत्तर भारत में सरकार बनेगी तो जैसे तमिलनाडु में 69 परसेंट और झारखंड में 77 परसेंट रिजर्वेशन दिया गया, उसी तरह उत्तर प्रदेश में ओबीसी दलित को 52 परसेंट आरक्षण ओबीसी को देंगे. उत्तर प्रदेश में 21 परसेंट दलित आबादी है इसलिए यहां कम से कम यहां पर 70 से 80 परसेंट रिजर्वेशन ओबीसी दलित को दिया जाय.
सोशल जस्टिस डे के रूप में मनाई जाए पेरियार जयंती

गांधी भवन में आयोजित कार्यक्रम में श्री ईवी रामासामी पेरियार और ललई सिंह यादव को याद किया गया. इस मौके पर चीफ गेस्ट एवं डीएमके सांसद श्री पी विल्सन ने कहा कि पेरियार जयंती को सोशल जस्टिस डे के रूप में मनाया जाना चाहिए. इस मौके पर उन्होंने लोगों को पेरियार की विचारधारा पर चलने के लिए शपथ भी दिलाई. उन्होंने सरकार से तमिलनाडु राज्य की तरह ही पेरियार बर्थ एनिवर्सिरी को नेशनल सोशल जस्टिस डे के रूप में मनाने की अपील की.
On #SocialJusticeDay I spoke about Periyar's teachings on rationalism & opposing superstition at Lucknow, UP in an event organised by #SamajikChetna Foundation Trust.
I appealed to Union Govt to follow TN state & celebrate the Birth Anniversary of #Periyar as National Social pic.twitter.com/wsfosJbHwL— P. Wilson (@PWilsonDMK) September 18, 2022
लाना होगा कल्चरल रेव्यूल्यूशन (Cultural Revolution)
इस मौके पर दिल्ली से आए प्रो. रतनलाल (Ratan Lal) ने कहा कि पेरियार एक विचारधारा है. इस विचारधारा पर चलें और पाखंड एवं आडंबर से दूर करें. उन्होंने बताया कि आंबेडकर ने कहा था कि Nothing is more disgraceful for a brave man than to live live life devoid of self respect. उन्होंने कहा कि अगर आत्म सम्मान नहीं है तो आप इंसान नहीं है. आत्म सम्मान सबसे महत्वपूर्ण चीज है. उन्होंने बताया कि डॉ. रतनलाल ने बताया कि डॉ. भीमराव आंबेडकर 1948 में शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के कार्यक्रम में लखनऊ आए थे. कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि यदि दलित और पिछड़े एक हो जाएं तो आप सत्ता से कभी हट नहीं सकते हैं. डाॅ. रतनलाल ने कहा कि हमें समाज में कल्चरल रेव्यूलूशन लाना होगा. तभी आगे हमें हमारा हक मिलेगा.
इस मौके पर जस्टिस वीरेंद्र सिंह, पूर्व न्यायमूर्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि पेरियार के विचार पाखंडवाद पर गहरा प्रहार थे. उन्होंने उल्लेख किया कि हमारा समाज इतना शिक्षित होने के बावजूद भी पाखंडवाद में उलझा हुआ है. हम अपने समाज को अगर आगे ले जाना चाहते हैं तो इसमें महिलाओं को आगे आकर समाज की कुरीतियों को खत्म करने के लिए अपना योगदान देना होगा तथा वैज्ञानिक चिंतन पर आधारित विचार और विश्वास को अपनाना होगा. हमें चौपालों सम्मेलनों अन्य सामाजिक आयोजनों के माध्यम से अंधविश्वास और पाखंड वाद से निकलने के लिए समाज को जागरूक करना होगा.
माननीयों को भी पेंशन लेने का हक नहीं
इस मौके पर एक अन्य वक्ता ने कहा कि सामाजिक न्याय में ही समाजिक सुरक्षा जुड़ी हुई है. यह दुर्भाग्य है कि 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने शिक्षकों कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा ख़त्म कर दी. यह हमारी सुरक्षा में एक बदनुमा दाग है जो 2004 में लगाया गया है. इसीलिए कहना चाहता हूं कि जब सामाजिक न्याय की बात हो तो सामाजिक सुरक्षा की बात हो, तो वो पुरानी पेंशन है. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी और शिक्षक अपना हक लेकर रहेंगे. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को पेंशन नहीं तो माननीयो को भी पेंशन लेने का हक नहीं है.
डॉ. राजेन्द्र वर्मा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि लखनऊ के उमड़ी भीड़ का स्वागत करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है कि पेरियार को सुनने के लिए इतने लोग यहां पर आए. कार्यक्रम में चन्द्र भूषण सिंह यादव ने भी सम्बोधित किया.
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सामाजिक चेतना फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन में श्री बी डी नकवी, शंभू कुमार, प्रोफेसर जितेंद्र कुमार राव, रामपाल यादव, डॉ सकील किदवई आदि वक्ताओं ने अपने विचार पाखंडवाद के विरोध में व्यक्त किए और वैज्ञानिक चिंतन के विकास में पेरियार की शिक्षाओं का योगदान पर चर्चा की. कार्यक्रम की अध्यक्षता जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने की. संस्था के सचिव महेंद्र कुमार मंडल ने धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम में ओम प्रकाश कनौजिया, पुष्पेंद्र यादव, विजय कुमार प्रधान मयंक कुमार डॉक्टर संदीप सुनील पाल, पुष्पेन्द्र एडवोकेट आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे.